बाल मजदूरी एक अभिशाप पर निबंध

14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से कारखाने, होटल, पीतल उद्योग, हीरा उद्योग, माचिस, बीड़ी बनाना, दवा उद्योग कोयले की खानों, पत्थरों की खानों, मे इत्यादि जगहों पर कार्य करवाना बाल मजदूरी कहलाता है। इस काम के लिए बच्चा मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार नहीं रहता है। फिर भी जबरदस्ती करवाया जाता है। बहुत बार बच्चे पढ़ाई के बिना जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाते हैं कभी-कभी यह मजबूरियां बाल मजदूरी की खाई में धकेल देता है जिससे आज तक किसी का भला नहीं हुआ है ना होगा। बहुत से परिवार में बाल मजदूरी को परंपरा समझ कर वंशानुगत चलाया जाता है।

बाल मजदूरी का मुख्य कारण भारत में गरीबी है। बच्चों के माता-पिता को पैसों का जरूरत होता है। लालची माता-पिता अपने सुख के लिए बच्चों से मजदूरी करवाते हैं और गरीब बच्चे को मजदुरी करना तो उनके मजबूरी बन जाता है।ग्रामीण क्षेत्रों में माता-पिता का कम शिक्षित होना भी बहुत बड़ा कारण है। बड़े बड़े कारखानों के मालिक अपने लाभ के लिए बाल मजदूर को खोजते फिरते हैं।इसके अलावा बढ़ती जनसंख्या, सस्ती मजबूरी, शिक्षा का अभाव और मौजूदा कानून का सही तरीका से कार्य ना हो पाना बाल मजदूरी का जिम्मेदार है। बाल मजदूरी का अर्थ बच्चों को बेचने के बराबर होता है।लड़कियों को अक्सर कम उम्र में स्कूल जाने से रोका जाता है। उन्हें फील्डवर्क और घर के कामों में भी मदद करने के लिए बनाया जाता है।

बाल मजदूरी का दुष्प्रभाव

जिस उम्र में बच्चों को खेल कूद कर, शिक्षा लेकर अपना उन्नति करना चाहिए, उस उम्र में उन्हें मजदूरी करना पड़ता है। मालिक द्वारा शोषण किया जाता है। बाल मजदूर को कम मजदूरी देकर बहला-फुसलाकर ज्यादा काम लिया जाता है उनसे मनपसंद काम करवाया जाता है। यह देश के विकास को सबसे ज्यादा बाधक होता है।क्योंकि जब तक बच्चों को उनके अधिकार और शिक्षा से वंचित रखा जाएगा तब तक देश के उज्जवल भविष्य का कल्पना करना व्यर्थ है।

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बाल मजदूरी में रुकावट हेतु व्यवस्थाएं

इससे रुकावट के लिए सरकार को बाल श्रमिक स्कूल खोलना चाहिए। UG से PG तक फ्री पढ़ाई की व्यवस्था की जाए। भारत के संविधान अनुच्छेद 24 के अंतर्गत भारत में बाल मजदूरी प्रतिबंधित है। बाल मजदूरी की समस्या भारत में ही नहीं पूरा विश्व में एक विकट समस्या बन चुका है। आज विश्व में जितना बाल मजदूर है उनमें सबसे ज्यादा भारत देश में है। एक अनुमान के अनुसार विश्व के एक तिहाई से ज्यादा हिस्सा भारत में है। हालांकि फैक्ट्री अधिनियम बाल अधिनियम आदि भी बच्चों के अधिकार को सुरक्षा प्रदान करता है। इसको खत्म करने के लिए सरकारों और समाजों को मिलकर काम करना होगा। इसका समाधान तभी होगा जब हर बच्चों के पास उनका अधिकार पहुंचाया जाए। देश के किसी भी हिस्से में कोई भी बच्चा बाल मजदूरी करते दिखे तो देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य बनता है कि वह उसका विरोध करें और उचित कार्रवाई करें।

बाल मजदूरी से निष्कर्ष हेतु जागरूकता

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अधिक जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। माता-पिता सहित वयस्कों को बच्चों के दिमाग पर बाल श्रम के नकारात्मक प्रभावों के बारे में पढ़ाया जाना चाहिए। उन्हें शिक्षा की शक्ति और बच्चों के लिए मुफ्त बुनियादी शिक्षा का वादा करने वाली विभिन्न योजनाओं के बारे में भी बताया जाना चाहिए। यह जोर देना और भी महत्वपूर्ण है कि शिक्षा लड़कियों को कैसे सशक्त बनाती है और उनके जीवन को बेहतर बनाती है।

बाल तस्करी और बच्चों को श्रम में मजबूर करने के मामलों में, सरकार को बच्चों के बचाव और पुनर्वास पर काम करना चाहिए। बाल मजदूर के लिए और ज्यादा मजबूत कानून बनना चाहिए। जिससे कोई भी बाल मजदूरी करवाने से डरे। उन्हें सोशल मीडिया के द्वारा समझाया जाए कि बाल मजदूरी कितना गैर कानूनी काम है। कारखाना एवं दुकानों के मालिक उद्योगपति को प्रण लेना चाहिए कि वो किसी भी बच्चे को मजबूरी नहीं करवाएंगे। और काम करने वाले लोगों को रोकेंगे।

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