निबंध और लेख में भिन्नताएं।

निबंध, लेख, कहानी, नाटक और आवेदन सभी लेखन कला का भाग है। सभी परस्पर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। सभी में मुख्य रूप से पाठकों को रिझाने समझाने तथा लेखक के माध्यम से कुछ नया बताने की कोशिश की जाती है। लेखन कला का सबसे महत्वपूर्ण बात है कि लेखन की क्रिया से किसी अन्य को किसी न किसी प्रकार से प्रभावित करना होता है। लेखन कला के कई भाग स्वतंत्र रूप से लिखे जाते हैं परंतु कई भाग लेखन नियमों से बंधे होते हैं। लेखन कला के किसी भाग में जानकारी का बोध या वर्णन किया जाता है। किसी भाग में विनती, अनुनय-विनय, तू किसी भाग में अभिनय का वर्णन किया जाता है। निबंध, लेख, कहानी, नाटक और आवेदन में बताए जाने के लिए इनका विश्लेषण जानना आवश्यक है।

निबंध का विश्लेषण

निबंध का शाब्दिक अर्थ होता है जो किसी बंधन में ना हो। अर्थात निबंध लेखन कला का स्वतंत्र रूप है। निबंध के माध्यम से लेखक अपने विचार सोच और व्यक्तित्व स्वतंत्र रूप से समाज में दर्शाता है। निबंध में लेखक किसी भी नियम को मानने के लिए बाध्य नहीं होता है। निबंध में लिखी गई सारी बातें निबंधकार के मानसिकता वैचारिक ता तथा व्यक्तित्व पर निर्भर करती है इसीलिए एक ही विषय बिंदु पर अलग-अलग लेखकों द्वारा लिखी गई बातें तथा तर्क भिन्न भिन्न हो सकती है। निबंध किसी साक्ष्य प्रमाण पर आधारित लेखन प्रक्रिया नहीं है। निबंध एक विस्तृत लेख होती है जो शब्दों के जाल से मिलकर बनी होती है। यह 1000 से 3000 शब्दों तक की हो सकती है। निबंध का मूल्य तथा विशेषता निबंधकार के व्यक्तित्व तथा उसके सामाजिक प्रतिष्ठा पर निर्भर करती है। निबंध का समाज में कोई महत्व नहीं होता। निबंध मुख्य रूप से एक व्यक्ति की व्यक्तिगत सोच का सारांश हो सकता है। इसीलिए इसकी महत्व अधिक नहीं होती क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की सोच भिन्न हो सकती है किसी खास विषय बिंदु पर। निबंध 1 साहित्य भी हो सकता है अथवा साहित्य भी एक निबंध ही हैं। निबंधकार किसी विषय बिंदु पर अपनी राय लोगों के समक्ष निबंध के जरिए व्यक्त करता है तथा पाठक को अपनी बात समझाने की चेष्टा करता है। निबंध मुख्य रूप से स्कूलों में पढ़ाया जाता है। जिससे बच्चों की सोच दर्शाने का बच्चों को मौका दिया जाता है तथा बच्चों के व्यक्तित्व के विकास में निबंध की मुख्य भूमिका होती है।

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निबंध स्वतंत्र रूप से लिखी जाने वाली परी कथा है। जिसका तात्पर्य लेखक की मानसिकता गुण और लेखन कला पर आधारित होता है। विस्तृत रूप से किसी घटनाक्रम अथवा काल्पनिक घटनाक्रम को लेखक बिना किसी दबाव के अपने बुद्धि और विवेक के आधार पर शब्दों के घोल से निबंध का निर्माण करता है। निबंध एक विस्तृत शब्दों के जाल से मिलकर बनी होती है। यह 1000 शब्दों से 3000 शब्दों अथवा इससे भी बड़ी हो सकती है। निबंध में दर्शाई गई सारी घटनाएं तथा क्रम निबंधकार की सोच पर निर्भर करती है। निबंधकार किसी इतिहास और तथ्य के अपने निबंध लिखने के लिए बाध्य नहीं होते। निबंध समाज में निबंधकार तथा जानकार के लिए अपनी स्वतंत्र बात रखने की आजादी है। निबंध में तरह-तरह के भिन्न-भिन्न तथ्य एक ही बातों में देखने को मिलती है जिससे भीड़ भी जानकारियां सबके सामने प्रस्तुत करती है। निबंध का सामाजिक दृष्टिकोण में अपना एक विशेष महत्व अवश्य है। परंतु वास्तविक तथ्य आधारित बातों में इसका कोई महत्व नहीं होता है। साधारण निबंध विद्यालयों में उपयोग की जाती है जिसके माध्यम से बच्चे अपना गुनौर मानसिकता दर्शाते हैं। निबंध का वास्तविक अर्थ होता है नि:+बंध‌ अर्थात जो सभी बंधनों से मुक्त हो। निबंध का लेखन बीती हुई घटनाक्रम भविष्य में होने वाली घटनाओं की कल्पना आदि के आधार पर की जाती है। निबंध की वास्तविक रचना का विश्लेषण किसी परिभाषा के माध्यम से करना काफी कठिन है। परंतु समयानुसार इसकी स्थिति भी बदलती रहती है। सामाजिक सोच समाज में घटित घटना मनुष्य के विचार को बदलती रहती है। जिसके कारण निबंधकार के निबंध उसकी पारिस्थितिक सोच को दर्शाती है। निबंध सरलता सहजता के द्वारा विशिष्ट रूप से निबंधकार के व्यक्तित्व को प्रदर्शित करती है। विभिन्न लोगों और साहित्य द्वारा इसका परिभाषा कुछ इस प्रकार से दी गई है।

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लेख का विश्लेषण

लेख कम शब्दों में तथ्यात्मक बातों से भरी हुई तथा लेखन नियमों से बंध कर लिखी जाने वाली लेखन प्रक्रिया का भाग है। लेकर 1000 शब्दों तक के हो सकते हैं। लेख के द्वारा लेखक समाज में तथ्यात्मक संदेश देता है। इसके साक्षर प्रमाण जरूरी होते हैं। लेख एक विश्वसनीय लेखन प्रणाली का भाग होता है। भिन्न-भिन्न लेखकों द्वारा लिखी हुई लेख में लेखन का पद्धति भिन्न हो सकता है पर सभी लेख एक सुनिश्चित नियम के अनुरूप लिखी जाती है और इनका वास्तविक अर्थ समान ही होता है। साहित्य को भी ले कहा जाता है। लेख इतिहास अथवा वर्तमान में घाटी किसी भी घटना, विज्ञान, तकनीक, शौर्य, साहस, सुंदरता, सफलता, सामाजिकता पर लिखी जा सकती है जिसे लेखक द्वारा प्रमाणित करना आवश्यक होता है। लेखक लेख के नियमों तथा तथ्यों में कोई सुधार अथवा बदलाव नहीं कर सकता। यह लेखक के विश्वसनीयता पर प्रमाणित नहीं हो सकता है।

लेख ज्ञानात्मक लेखन का प्रतिरूप है। लेख लिखने के नियम होते हैं। लेख लिखने वाले लेखक लेखन पद्धती को मानने के लिए बाध्य होते हैं। लेख में लेखक साक्षी से जुड़ी बातें कम शब्दों में अपने व्यक्तिगत भावनाओं से हटकर लिखते हैं। लेख साक्ष्य सहित शब्दों के मूल भाव से अभिभूत होकर लिखी जाती है। लेख का प्रयोग हमेशा किसी विषय विशेष पर लिखी जाती है। जिसका भू तथा वर्तमान में कोई साक्ष्य प्रदर्शित किया जा सके। लेख को लेखक साक्षर प्रमाण के साथ अपने पाठकों को ज्ञान देने की चेष्टा करता है। लेख में विभिन्न लेखकों की भाषाएं भिन्न हो सकती है परंतु भावनाएं एक समान होती है। लेख का सामाजिक तथा कार्य में जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। कोई भी लेखक अपने भावनाओं के द्वारा लेख में कोई सुधार अथवा बदलाव नहीं कर सकता क्योंकि यह साक्षर प्रमाण पर आधारित होता है। इसीलिए लेख लेखन में सभी बातों का वर्णन विस्तार से परंतु प्रमाणिकता के आधार पर की जाती है। लेख 1000 से 1500 शब्द का हो सकता है। लेख का लेखन हर वस्तु स्थान सजीव निर्जीव पर किया जा सकता है जिसका प्रमाण दिया जा सके। लोक साहित्य भी हो सकता है। विज्ञान साहित्य कला सूचनात्मक तक तकनीक आदि सभी पर लेख लिखी जा सकती है। लेख का स्पष्ट अर्थ होता है लिखावट। किसी भी शीर्ष बिंदु पर एक क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया लेखन जो प्रमाणिकता के आधार पर हो लेख कहलाती है। लेख हमेशा साहित्य की श्रेणी में आता है।