ऑप्टिकल फाइबर संचालन प्रक्रिया में प्रयोग की जाने वाली एक पतली तार होती है जिसके द्वारा प्रकाश बिंदु के रूप में सूचनाएं आदान प्रदान की जाती है। ऑप्टिकल फाइबर के द्वारा डाटा का आदान-प्रदान टोटल इंटरनल रिफ्लेक्शन के सिद्धांत पर किया जाता है। कांच या प्लास्टिक से बनी एक पतली तार होती है जिसके माध्यम से सूचनाओं का आदान प्रदान प्रकाश के रूप में होता है।
यह अन्य संचार माध्यमों की तुलना बहुत तीव्र गति से कार्य करती है। क्योंकि लाइट की गति तीव्र होती है और ऑप्टिकल फाइबर अपने से होकर प्रकाश प्रवाह करती है ना की बिजली इसीलिए ऑप्टिकल फाइबर 300000 किलो मीटर पर सेकंड की गति से सूचनाएं भेज सकती है जो कि बहुत ही तीव्र गति मानी जाती है। हालांकि अन्य माध्यमों से फाइबर ऑप्टिकल काफी महंगा होती है परंतु इसके आने से सूचनाओं का आदान प्रदान काफी आसान हो गया है।
संचार के क्षेत्र में ऑप्टिकल फाइबर एक क्रांति ला दिया है। बोलेरो में बनी इस ऑप्टिकल फाइबर की मोटाई आपके एक बाल से भी कम होती है जो कि हैरान करने वाली है। इसके पहले लेयर को कोर तथा दूसरे लेयर को कल क्लैंडिंग कहा जाता है। ऑप्टिकल फाइबर रिफ्रैक्टिवे होती है जिसके कारण इसमें आंतरिक रिफ्लेक्शन हो पाता है। इसकी सुरक्षा हेतु इसे पॉलीइमाइड की लेयर से ढका जाता है। एनर्जी तथा लाइट एक दूसरे फाइबर में न जा सके इसके लिए इसमें जरूरत के हिसाब से लेयर भी चढ़ाया जा सकता है।
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ऑप्टिकल फाइबर का इतिहास
पहली वास्तविक ऑप्टिकल फाइबर केवल का आविष्कार 1952 ईस्वी में जॉन टाइंडल के प्रयोग के आधार पर यूके के भौतिक विज्ञानी नरेंद्र सिंह कपैनी ने किया था। ऑप्टिकल फाइबर में समय के साथ बदलाव तथा सुधार होता रहा है। सन 1966 में जब इसे बनाकर पहली बार टेस्ट किया गया तो यह प्रभावी रूप से इतना ठीक नहीं था और असफल हो गया। परंतु इसमें बदलाव जारी था बहुत सारे संशोधना तथा अनुसंधान ओं के बाद 1975 से शुरू हुए अनुसंधान की एक अवधि बाद फाइबर ऑप्टिकल संचार प्रणाली विकसित कर ली गई। बाद में इसमें कई सुधार होती गई यह अपनी स्पीड और दायरा बढ़ाता चला गया और आज भी है अपने प्रणाली को और विकसित करने में लगा हुआ है।
ऑप्टिकल फाइबर की संरचना
यह दो लेयरों में बनी हुई एक पतली तार होती है जो कि हमारे एक बाल से भी पतली होती है। कोर इसके पहले लेयर का तथा दूसरी लेयर को क्लैडिंग कहा जाता है। इसकी सुरक्षा के लिए इस पर पॉलीइमाइड की लेयर चढ़ाई जाती है। एनर्जी और लाइट को एक दूसरे के संपर्क से बचाए रखने के लिए इस पर और भी लेयर चढ़ाई जा सकती है।
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ऑप्टिकल फाइबर को उसके सिग्नल मोड तथा स्ट्रैंथ के आधार पर बांटा जाता है। सिग्नल मोड के आधार पर तथा स्ट्रैंथ के आधार पर भी इसे दो दो भागों में बांटा जाता है जो कि इस प्रकार हैं।
सिग्नल मोड के आधार पर ऑप्टिकल फाइबर का विभाजन
सिंगल मोड जिस ऑप्टिकल फाइबर में एक समय में एक ही सिग्नल पड़वा हो सके अर्थात उसमें प्रकाश परिवहन का एक ही मार्ग हो उसे single-mode ऑप्टिकल फाइबर कहा जाता है। सिंगल मोड में डाटा को दूर तक पहुंचाया जा सकता है।
मल्टी मोड जिस ऑप्टिकल फाइबर से होकर एक से ज्यादा सिग्नल का परिवहन होता है अर्थात उसमें प्रकाश परिवहन के लिए एक से अधिक मार्ग होता है उसे multi-mode ऑप्टिकल फाइबर कहा जाता है। हालांकि single-mode की अपेक्षा मल्टी मोड काफी कम दूरी तय कर पाती है।
स्ट्रेंथ के आधार पर ऑप्टिकल फाइबर
लूज कॉन्फ़िग्रेशन इस तरह के ऑप्टिकल फाइबर में फाइबर की कोर के चारों ओर लिक्विड जेल भरा होता है। इसका इस्तेमाल प्रोटेक्शन हेतु किया जाता है। इसकी कीमत काफी कम होती है।
टाइट कॉन्फ़िग्रेशन इस प्रकार के ऑप्टिकल फाइबर में स्ट्रैंथ वायर का प्रयोग किया जाता है जिससे कि यह मुरने ना पाए। इसका वजन स्ट्रैंथ वायर की वजह से ज्यादा हो जाता है।
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ऑप्टिकल फाइबर के फायदे और नुकसान
चुंकी ऑप्टिकल फाइबर बिजली नहीं प्रकाश तरंगों के प्रवाह होने का रास्ता है अतः इस से संचार प्रणाली काफी तेज गति से होती है जिसके कारण यह सर्वाधिक उपयोग में लाया जाने वाला संचार माध्यम है। इसके उपयोग के बहुत से फायदों के साथ-साथ कुछ हानि भी हैं।
ऑप्टिकल फाइबर से लाभ
ऑप्टिकल फाइबर बहुत ही छोटे होते हैं इनकी मोटे मनुष्य के एक बाल से भी कम होती है। इसकी संरचना इसे अन्य विकल्पों की तुलना हल्का बनाता है। इसके जरिए भेजी गई डाटा इतनी सख्त निगरानी में होती है कि इसकी सुरक्षा कवच को भेदना मुश्किल होता है। इसमें डाटा को एनालॉग तथा डिजिटल सिग्नल दोनों माध्यमों से ट्रांसमिशन किया जा सकता है। एनालॉग ट्रांसमिशन की प्रक्रिया में गति कम ज्यादा होती रहती है परंतु डिजिटल में ऐसा नहीं होता। अतः डिजिटल मोड अत्यंत प्रभावशाली होता है। ऑप्टिकल फाइबर अन्य संचार साधनों से कहीं ज्यादा तेज तथा कम समय में अत्यधिक दूरी तय करती है। बिजली वाले तारों की तुलना में 10 से 100 गुना अधिक बैंडविथ पाया जाता है ऑप्टिकल फाइबर में जिसके कारण यह अत्यधिक डाटा आदान प्रदान करने की क्षमता रखता है। ऑप्टिकल फाइबर अत्यंत कम नुकसानदेह होता है क्योंकि लाइट की स्पीड बिजली से काफी तीव्र होती है। कोई भी मैग्नेटिक वेब का असर ऑप्टिकल फाइबर पर नहीं पड़ता क्योंकि यह इंसुलेटर के बने होते हैं। ऑप्टिकल फाइबर संचार की दुनिया में एक क्रांति के रूप में आई है जो संचार को सुविधाजनक तथा मजबूत बनाने का कार्य किया है।
ऑप्टिकल फाइबर से हानि
ऑप्टिकल फाइबर का सेटअप बहुत ही कठिन होता है जो कि किसी आम रिपेयर की समझ में जल्दी नहीं आती। इसकी रिपेयर तथा सेटअप में ज्यादा लागत आती है क्योंकि इसके रिपेयरिंग के लिए एक कुशल रिपेयर की आवश्यकता होती है। आम डाटा ट्रांसफर केवल ऑप्टिकल फाइबर की तुलना में सस्ता तथा आसानी से उपलब्ध हो जाती है।