भोलू की बुद्धिमानी पर कहानी

गुरु पूर्णिमा के सुबह अवसर पर

मैं ओझाडीह कन्या विद्यालय में शिक्षक के रूप में कार्यरत था एक दिन डीसी साहब का प्रोग्राम विद्यालय निरीक्षण हेतु होने वाला था। मैं पंचम क्लास का वर्ग शिक्षक था। पंचम क्लास में एक लड़का जिसका नाम भोलू था। जैसा नाम वैसा काम पढ़ने में भी कुल मिलाकर भोलू। ना कुछ याद रहता ना कुछ समझने का कोशिश करता। 

प्रधानाध्यापक ने आकर विशेष रुप से हमें यह सलाह दी की भोलू को कल क्लास मेंआगे के पंक्ति में बैठाना है। क्योंकि सबको लगता था डीसी महोदय हमेशा पीछे के लड़कों से ही प्रश्न पूछता है। मैंने भी प्रधानाध्यापक के बातों को मान लिया और भोलू को विशेष सलाह दिया कि तुम कल आगे की पंक्ति में बैठोगे। क्योंकि भालू हमेशा क्लास में पीछे ही बैठता था।

सुबह स्कूल के सभी बच्चे अच्छे से ड्रेस पहन के आ चुके थे तथा पूरी स्कूल अनुशासित दिखाई दे रहा था। मानो कोई प्राइवेट स्कूल जैसा

सभी अनुशासित एवं हर कक्षा पर वर्ग शिक्षक तथा विद्यार्थी बिल्कुल शांत माहौल में पढ़ाई करते हुए।

करीब 11:00 बजे डीसी महोदय का आगमन हुआ कुछ समय के लिए वह प्रधानाध्यापक के कार्यालय में रुके कुछ कागजी कार्यवाही करने के बाद सीधे वह वर्ग पंचम में ही आकर पहुंचे।

माहौल एकदम शांत था। सभी टीचरों की धड़कनें बढ़ चुकी थी।

सबको लगा डीसी साहब कैसा प्रश्न पूछेगा।

डीसी साहब ने सभी छात्रों के गुड मॉर्निंग सर का अभिनंदन स्वीकार किया तथा अपनी अपनी जगह में बैठने को कहा।

डीसी साहब ने बच्चों से पूछा बच्चों बताओ तो शरीर में वह कौन सी चीज है जिसका अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नाम हे।

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 प्रश्न बड़ा ही कठिन था। सभी छात्रों के साथ साथ शिक्षकों का भी समझ में नहीं आया। भोलू खड़ा होने के लिए तत्पर था परंतु प्रधानाध्यापक ने उसे 2 बार बैठने का इशारा किया।

जब कोई जवाब नहीं दिया तो भोलू खड़ा हो गया। तथा डीसी साहब को बोला सर जी 

डीसी साहब बोले हां बेटा बोलो । भोलू बोला सर जी उस के अनेकों नाम है।

माथे पर बाल। आंख पर पिपनी उसके नीचे भोंवा।उसके नीचे मूंछ। उसके नीचे दाढ़ी । फिर उसके नीचे छाती पर रोंया।

इतने में ही प्रधानाध्यापक के मन में एक अलग सा डर आया और उसने मेरे तरफ देखा। 

मैने भी भोलू के भोलेपन को वही रोकने में ही बुद्धिमानी समझा।

और मैने बच्चों को जोर से ताली बजाने का इशारा किया।

पूरा क्लास तालियों की गूंज से गुंजवान हो गया।

डीसी साहब भी खुश थे।उसने भोलू को एक हजार की नगद पुरस्कार दिया।

आज सभी भोलू की बुद्धिमानी पर खुशी से झूम रहे थे।

आज पूरे क्लास में भोलू  हीरो बन चुका था। इससे पता चलता है कि हर बच्चों में एक अलग ही टैलेंट होता है।

शिक्षकों को सभी छात्रों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।।


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