स्वामी विवेकानंद हिंदू जगत के एक प्रसिद्ध संत, कवि तथा नेता थे। प्रतिवर्ष सिंह के जन्मदिन के उपलक्ष में युवा दिवस मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मठ तथा रामकृष्ण मिशन की स्थापना कर देश की प्रगति में एक बहुत बड़ा योगदान किया था। बचपन से ही यह अध्यात्मिक विचारों वाले रहे हैं ।इन्होंने अनियमित पढ़ाई की थी। इन होने हमेशा धार्मिक चुना था।इन का प्रिय भाषा बांग्ला भाषा था। यह सब श्री रामकृष्ण से मिलने के बाद हुआ था। श्री रामकृष्ण से मिलने के बाद इन्होने संत जीवन में जाना उचित समझा तथा श्री रामकृष्ण को अपना गुरु का रूप दे दिया था। इन्होंने देश के हित में बहुत से आंदोलन किए। तथा देश को प्रगति की और ले गए।
स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय
स्वामी विवेकानंद का जन्म कलकत्ता के समान्य परिवार में हुआ था। इनके बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था। इनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था। इनके पिता उच्च न्यायालय ने वकील के पद में थे। इनकी माता का नाम भुवनेश्वरी दत्त था। इनकी माता एक धार्मिक स्त्री थी। स्वामी विवेकानंद के आठ और भाई बहन भी थे। यहां अपने माता पिता के 9 संतानो में से एक हैं। इनका जन्म 12 जनवरी 1863 को तिल संक्रांति के दिन को हुआ था। यह बचपन से ही एक धार्मिक परिवार मैं रहे थे। घर के वातावरण को महसूस करते हुए इनका मन भी धार्मिक राह की तरफ चल ही पड़ा। यह बचपन से ही एक अध्यात्मिक बच्चे थे। यह हमेशा भगवान शिव हनुमान इत्यादि की मूर्तियों के सामने बैठकर घंटो ध्यान करते थे। यह संतो भिक्षु तथा साधु संयासी से काफी प्रभावित होते थे। यहां बचपन में बहुत ही शरारती थे जिस कारण इनकी माँ इन्हे भूत कहकर कर पुकारती थी।
स्वामी विवेकानंद जी का शैक्षिक जीवन
इन्होंने शुरुआती पढ़ाई कलकत्ता शहर में रह कर ही पूरी की थी। जब वह 8 साल के हुए तब इन्होंने चंद्र विद्यासागर महानगर संस्था में अध्ययन के पाठों को पढ़ने के लिए पहुंच गए।1879 में इन्होंने अपना दाखिला प्रेसीडेंसी कॉलेज में करवाया था। यह अपने विषयो में पूर्ण रुप से ध्यान देते थे। तथा सामाजिक, विज्ञान, इतिहास,धर्म, कला इत्यादि विषयो मे भी यह अव्वल थे। इन्होंने बहुत से शास्त्रों व साहित्यो का अध्यन भी किया था जैसे पश्चिमी तर्क, यूरोप इतिहास,पश्चिमी दर्शन, संस्कृत शास्त्रों और बंगाली साहित्य की शिक्षाएं इन्होंने पूर्ण रुप से अर्चन की थी।
स्वामी विवेकानंद की रूचि
यह भारत समाज के धार्मिक लोगों में से एक हैं। एक सामान्य परिवार में जन्म लेने वाले नरेंद्र नाथ दत्त अपने ज्ञान और कार्य के दम पर स्वामी विवेकानंद बने। भारत देश में स्वामी विवेकानंद के नाम से पहचाने जाने वाले एक महान पुरुष है। यह वेद, रामायण, पुराण,उपनिषद आदि में बहुत समय देते थे तथा उनके द्वारा ज्ञान को अपने जीवन के के कार्यों में लगाते थे।न सिर्फ धार्मिक कार्यों में इनकी एक विशेष रूचि थी बल्कि भारतीय शास्त्रीय संगीत, खेलकूद, व्यायाम में भी इनका काफी मन लगता था। शुरु किए गए क्रिकेट कार्य को यह बड़ी सहनशीलता तथा लगन से पूरी करते थे।
स्वामी विवेकानंद के हिंदू समाज के लिए किए गए कार्य
यह बचपन से ही हिंदू धर्म के प्रति बहुत उत्साहित व उत्तेजित थे। यह हिंदू धर्म के बारे में देश के अंदर तथा बाहर एक नई सोच कर निर्माण करना चाहते थे तथा यह अपने कार्य में सफल भी रहे थे। इन्होंने पश्चिम के लोगों मे ध्यान, योग और आत्म सुधार के कई सारे रास्तों पर ले जाने में सफल भी हुए थे। यह आज भी भारत देश के लिए एक आदर्श राष्ट्रवादी व्यक्ति हैं। इनकी राष्ट्रवादी बोली के कारण बहुत से नेताओं ने इनकी बातों का आकर्षण दर्शन है। यह उन व्यक्तियो में से एक हैं जिन्होंने भारत देश को एक नई सोच एक नई राह से परिचित कराया था। इन्होंने अपनी राष्ट्रवादी विचारों के कारण कई सारे लोगों का ध्यान अपनी और खींचा है। तथा आपने कविताओं और उदाहरणों से अपने विचार लोगों तो पहुंचाने व उन को समझाने में भी सर्वदा सक्षम रहे थे। इन्होने हिंदू धर्म को बढ़ावा दिया तथा लोगों को असल हिंदू धर्म का मतलब समझाने का एक उचित कार्य प्रदर्शित किया था।इन्ही कारणों के कारण आज लोगों के हिंदू धर्म को देखने व वेदो और शास्त्रो के ज्ञान को लेने का नजरिया ही बदल चुका है।
स्वामी विवेकानंद: एक प्रशंसा का माध्यम है
इन्होंने बचपन से ही आध्यात्मिक ज्ञान का अर्चन करना शुरु कर दिया था।तथा अपने जीवन में ज्ञान बुद्धि विद्या के कारण जगत में कई सारे बतलाओ लाने में सफल रहे। इनकी प्रशंसा करते हुए श्री अरविंद ने कहा कि यह एक महान हिंदू सुधारक का रुप है जिन्होंने हिंदू धर्म को बढ़ावा दिया है। महासभा संस्था के प्राचार्य विलियम हैस्टै ने विवेकानंद को एक प्रतिभाशाली व्यक्ति कहा है। इनकी प्रशंसा महात्मा गांधी तथा स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल राज गोपालाचारी द्वारा भी किया गया था। इन्होंने बहुत से प्रभावी लेखन भी लिखे हैं जैसे बाघा जतिन,श्री अरविंदो, सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक आदी जैसे प्रचलित लेखो के लेखक भी रह चुके थे।
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु
इन्होंने अपने प्रत्येक कार्य को निष्ठा पूर्वक निभाया फिर चाहे व देश सुधारने का कार्य हो या कवि बनकर लिखने का कार्य हो।इनके हर कार्य ने देश के हित की कामना की है तथा हर कार्य से देश को लाभ ही हुआ है। इन्होंने अपनी जीवन भर लोगों को ज्ञान देने वह ज्ञान की प्राप्ति का कार्य किया है। इनकी विचारों ने पूरे विश्व को प्रभावित किया है तथा भारत में हिंदुत्व धर्म का एक अलग ही दिशा में पहुंचाया है। इसे एक अलग ही पहचान मिली हैं। इनकी मृत्यु ध्यान साधना करते हुए हुई थी ऐसा कहा जाता है कि 4 जुलाई सन 1902 मे यहां बेलन मठ में साधना में बैठे हुए थे। इन्होंने 3 घंटों की ध्यान साधना करने के पश्चात अपने प्राणों का भी त्याग कर दिया था। इनके जीवन में बहुत सी कठिनाइयां परंतु इन्होंने कभी सच्चाई के मार्ग को नहीं छोड़ा। इनके बातों को ध्यान में रखते हुए तथा उनके विचारों पर चलते हुए देश आज भी प्रगति के राह पर है। यह सर्वदा हमारी युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श राष्ट्रवादी व्यक्ति रहेंगे।