शर्म आनी चाहिए लोगों को जो अपने माता-पिता के साथ बुढ़ापे में ऐसा घटिया व्यवहार करते है।

जिन बच्चों की खुशी के लिए एक मां बाप हर ग़म सहने को तत्पर रहते है, वहीं उनके बच्चे उनके साथ दुर्व्यवहार करते हैं।

जिसने जन्म से ही तुझे अपने दिल के आश्रम में रखा आज उसे ही तुम वृद्धाश्रम पहुंचाया करते हो। जिसने अपनी ज़िन्दगी की खुशी अपने बच्चों को समर्पित कर दिया आज उन्हें हिं उनके बच्चे उन्हें घर से बेघर कर देते हैं।

जिसने तुझे पैरों पर किया खड़ा आज उसे ही पैर से मार रहे हो। ना जाने क्यों जैसे-जैसे दिन बीते चले जा रहे हैं वैसे ही लोगों की मानसिकता भी बदलती जा रही है।

एक मां नौ महीने कष्ट सह कर एक बच्चे को जन्म देती है वहीं वो बच्चा बड़े होकर उन मासूम माता-पिता को घर से ही बेघर कर देते हैं।

एक पिता ना जाने कितने पत्थर को तोड-तोड़ कर अपने बच्चों को पढ़ा लिखा कर उसे जीना सिखाता है तो वहीं बच्चे बड़े होकर उन्हें ज़िन्दगी जीना ही भुला देते हैं। जिसने पूरी ज़िन्दगी बच्चों की खुशियां मांगी, आज उनके बुढ़ापे आने तक उनके बच्चे उन्हें सड़कों पर उतार देते हैं। 

क्या कुछ कमी रह गई थी क्या उनके प्यार में या फिर तुम ही प्यार के लायक नहीं हो?

क्या बोला भी जाए इन बच्चों के बारे में जो अपने मा बाप का नहीं हुआ वो और किसी का कभी हो भी नहीं पाएगा।क्या तुम दिल से खुश रह लेते हो खुद पिज़्ज़ा खाकर और मां को भूखे देख कर?

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यदि सच में तुम खुश रह लेते हो तो तुम बेटा कहलाने के लायक ही नहीं हो। तुम्हे आज खाना भी नसीब हो रही है तो सिर्फ और सिर्फ तेरे मां बाप की वजह से।

जब बचपन में बच्चा रोया करता था तो उसके मां बाप उसके हर आंसू पोछने के लिए किसी भी हद तक चले जाते थे। जब वहीं मां बाप बूढ़े हो जाते हैं तो बच्चे उन्हें किसी भी हद तक रुलाया करते हैं। 

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ऐसे बच्चों के मां बाप यही सोचते होंगे कि क्या बच्चों को जन्म देना ही पाप था या फिर हमारा ही होना पाप है?

जिस मां ने बच्चों को कहानी सुना कर बचपन में सुलाया करती थी आज वही बच्चे उनकी ही कहानी बना दिए हैं। इस वीडियो में एक बूढ़ी महिला हैं जिनकी उम्र 70 साल बताई जा रही है।

इनकी दशा देख कर आप इनके बच्चों की मानसिकता का पता लगा सकते हैं।दो बेटों में से कोई भी किसी काम का नहीं है।

ऐसे कितने मां बाप घर से बेघर हैं और इस वीडियो से आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि सबकी दशा यही होगी। जिसने पूरी ज़िन्दगी की कमाई बच्चों के नाम कर दी आज उन्हीं के पास एक रुपया भी नहीं है।

आखिर कब तक बरदाश करते रहे ये मां बाप, एक समय आते ही खुद से भी हार जाते हैं ये मासूम और अंत में जान भी चली जाती है। यहां तक कि बच्चे उन्हें पी खा के या फिर ऐसे भी उन मासूमों को पीटा करते हैं।

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एक नम्र निवेदन है इसे पढ़ने वालों से कि अपने माता पिता को कभी ये दिन मत दिखाना। जितना हो सके उतना करो उनके लिए जिन्होंने पूरी ज़िन्दगी बच्चों के लिए त्याग दिया हो।