रवींद्रनाथ टैगोर का जीवन परिचय

रविंद्र नाथ ठाकुर का जन्म 7 मई 1841 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुर बाड़ी में हुआ था। इनके पिता का नाम महा ऋषि देवेंद्र नाथ टैगोर था। इनके पिता ब्रह्म समाजी थे इसीलिए रवींद्रनाथ टैगोर ब्रह्म समाजी थे।रवींद्रनाथ टैगोर की माता का नाम शारदा देवी था। यह अपने माता-पिता के 14 संतान में से सबसे छोटे संतान थे। इनकी माता हमेशा घर के कामों में उन्हीं रहती थी जिस कारण यहां अपने पिताजी के साथ ज्यादा वक्त गुजारते थे तथा यह अपने पिता से काफी प्रभावित भी हुए थे। इनकी पिता को वेद उपनिषद में काफी रुचि थी जिस कारण वंश आयुक्त रवींद्रनाथ टैगोर को भी वेद उपनिषद में काफी रुचि थी। उन्होंने अपने पिता से वेद उपनिषद के बारे में बहुत कुछ जान रखा था जो कि बाद में इनकी लेखनी में देखने को मिली।

रवींद्रनाथ टैगोर का शैक्षिक जीवन

विश्व विख्यात महाकवि रविंद्र नाथ टैगोर जी ने अपनी प्राथमिक पढ़ाई कलकत्ता के संत जेवियर स्कूल से ही की थी। इन्हे स्कूल की पढ़ाई में कुछ खास रुचि नहीं थी इसलिए इनके बड़े भाई अक्सर इन्हें घर पर ही पढा दिया करते थे। तथा ही नहीं अपने भाई से पढ़ना बहुत ही पसंद था।1978 में इन्हे लाॅ की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड भेजा गया था बाद मे वे इंग्लैंड से पढ़ाई करके लंदन चले गए थे। परंतु वहां से इन्होंने बिना कोई डिग्री प्राप्त किए ही भारत लौटने की सोची और वह बिना डिग्री प्राप्त किए ही भारत लौट आए। टैगोर जी कई भाषाओं के ज्ञानी थे। इन्हें अंग्रेजी संस्कृत तथा हिन्दी भाषा का बहुत ही बेहतरीन ज्ञान था। परंतु यह मुख्यत दो भाषाओं में ही लिखा करते थे बँगला व अंग्रेजी। इन्हें बंगला व अंग्रेजी में लिखना बहुत पसंद था।

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रविंद्र नाथ टैगोर: एक कवि

विश्व विख्यात महाकवि रवींद्रनाथ टैगोर जी अपनी लेखनी के लिए ही प्रसिद्ध हैं। इनके दादाजी बनाल के राजा थे इसलिए इनके घर में काफी नौकर चाकर काम किया करते थे।टैगोर बचपन से ही इनसे कहानियां सुना करते थे तथा इन्हे कहानियां सुनना बहुत पसंद था। तथा यह हमेशा इन से नई नई कहानियां सुना करते थे।इन्हो ने बहुत सी प्रसिद्ध रचनाओं का निर्माण किया था। इनकी कविता “गीतांजलि” के लिए इन्हे नोबेल पुरस्कार 1913 में दिया गया था। नोबेल पुरस्कार पाने वाले यह भारत के ही नहीं बल्कि पूरे एशिया के पहले कवि थे।बचपन में ही इन्होंने “वनफूल” नाम का एक लेख लिखा था जिसमें कुल 7000 पंक्तियां थी।इन्होंने एक और कविता “भांगा हृदोय”जो कि बंगला में लिखी गई थी।इस कविता में इन्होंने जीवन के सुख-दुख का बड़े ही सुंदर से विवरण किया है। बंगाली लेख ओके साथ-साथ इन्होंने कई सारे अंग्रेजी लेख भी लिखे थे जैसे “the cresent moon”,”लवर्स गिफ्ट”, “क्रॉसिंग”ऐसी काफी सारे प्रसिद्ध लिखना रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखी गई थी। इन्हें “शुद्ध कवि” तथा “धार्मिक कवि” भी कहा जाता है।

रवींद्रनाथ टैगोर जी का कार्यकाल

इन्हे बचपन से ही छंद, भाषा, उपन्यास,कहानी व कविता का काफी ज्ञान था। 8 साल के उम्र में ही इन्होंने लिखने का कार्य शुरु कर दिया था। तथा इनकी लघु कथा प्रकाशित भी हो गई थी। जो कि उस समय एक बहुत बड़ा वाक्य था। इतने कम उम्र में कहानियां लिखना व प्रकाशित हो ना खुद में ही एक बहुत प्रसिद्ध बात है। उनकी छोटी कहानियां लोगों के द्वारा बहुत ज्यादा पसंद भी की जाती थी।

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रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा प्राप्त पुरस्कार व उपाधि

इन्हें काफी सारे पुरस्कार वह उपाधि से सम्मानित किया गया था।महात्मा गांधी ने इन्हें “गुरुदेव” की उपाधि दी थी। इन्हें “बार्ड ऑफ बंगाल” नाम से भी जाना जाता है।George 5 द्वारा इन्हे “नाईटहुड”उपाधि दी गई थी। जो इन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के पश्चात वापस कर दी थी।उन्होंने अपनी कई सारी कविता भानु सिंहा के नाम से भी प्रकाशित करवाई थी। यह गुरुदेव तथा महाकवि तथा कवि गुरु के नाम से भी जाने जाते हैं।

रविंद्र संगीत का आरंभ

रविंद्र संगीत बांग्ला वह संस्कृत का एक प्रसिद्ध अंग है। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में इनकी बहुत सारे लेखो को संगीत का रूप दिया गया है तथा संगीत के रूप में उपयोग भी किया गया है।अब रविंद्र संगीत संगीत सीखने वालों के लिए एक संगीत शैली बन चुकी है। जिसमें सिर्फ रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा रचित संगीतो को ही सिखाया जाता है। बता दे कि रवींद्रनाथ टैगोर ने कुल 2230 गीतों की रचना की थी। यह अपने गीतों का रिवाज अलग-अलग रागों में करते थे।उसी के पश्चात संगीत सीखने वालों को टैगोर के ही गानो का रिवाज अलग-अलग रागो में करना पड़ता है।

रवींद्रनाथ टैगोर का वैवाहिक जीवन

जब यह लंदन से भारत वापिस आए थे। सब इनके घर वालों ने 9 दिसंबर 1883 मैं इनकी शादी मृणालिनी नाम की एक लड़की से करा दी थी। बाद में इन्होने इनके बारे में भी बहुत सी कविताए लिखी। इनकी कविताओं में इनके मृणालिनी के प्रति प्रेम को साफ साफ देखा जा सकता था। रविंद्र नाथ व मृणालिनी देवी के पांच पुत्र थे। यह हमेशा एक साधारण जीवन व्यतीत करते थे।

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रविंद्र नाथ एक चित्रकार

रवींद्रनाथ टैगोर जी एक दार्शनिक कवि साहित्यकार होने के साथ-साथ एक बहुत अच्छी चित्रकार भी थे। हालांकि इन्होंने अपना ज्यादा समय प्राकृति के साथ बिताया था। इसका प्रभाव उनके चित्र में भी देखने को मिलता है। इन्होंने अपने आखिरी दिनो में वापिस चित्रकारीता का कार्य शुरु किया था। इनके बहुत सी चित्र लोकप्रिय हैं तथा इनके चित्र लोगों को काफी लुभाती है। इन्हें प्रकृति से बड़ा प्रेम था। इसलिए इनकी बहुत सी प्रसिद्ध चित्रों में इनके प्राकृति के लिए प्रेम को एहसास किया जा सकता है। तथा रविंद्र नाथ टैगोर के पिता श्री देवेंद्र नाथ ने शांतिनिकेतन नामक एक आश्रम कोलकाता में ही खुला था। 1901 मैं रविंद्र नाथ टैगोर ने मात्र 5 बच्चों के साथ इस आश्रम को शुरू किया था जो कि आज विश्व विख्यात हैं।

रविंद्र नाथ टैगोर की मृत्यु

रवींद्रनाथ टैगोर की मृत्यु कलकत्ता शहर में ही 7 अगस्त 1954 में हुई थी। यह अपने आखिर के दिनों में शांति निकेतन में ही रह रहे थे। तथा वही पर यह मृत्यु से कुछ दिन पहले चित्रकारीता का कार्य कर रहे थे। रविंद्र नाथ टैगोर जी की लेखनी बांग्ला साहित्य को एक नई दिशा की ओर ले गई तथा कई कवि उन से प्रभावित हुए और उन्हें लिखने को लेकर एक नई उर्जा प्राप्त हुई।

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