स्वच्छ भारत अभियान

स्वच्छता व्यक्ति, समाज और स्थान का सौंदर्य होता है। स्वच्छता मनुष्य की अस्मिता का ध्येय होता है। मनुष्य जीव‌न‌काल में स्वच्छता का महत्व अलौकिक होता है। पुराणों और मान्यताओं के अनुसार स्वच्छता में भगवान का निवास होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी स्वच्छता का महत्वपूर्ण स्थान है। स्वच्छता से जीवन में खुशहाली सफलता और सौंदर्य की प्राप्ति होती है। एक सब समाज हमेशा स्वच्छता को प्राथमिकता देता है।

स्वच्छता को समाज में इस कदर देखा जाता है कि आदमी कितना भी धनवान क्यों न हो अगर वह स्वच्छता ना रखता हो तो समाज में उसे सम्मान नहीं मिलता। इसी कारण और अस्वच्छ तथा झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों को हमेशा घृणा की दृष्टिकोण से देखा जाता है। स्वच्छता के प्रत्येक काल में प्राथमिकता का बहुत सारे उदाहरण हमारे ग्रंथों और पुराणों में दर्ज है। एक व्यक्ति का जिस प्रकार स्वास्थ्य ही धन होता है उसी प्रकार स्वच्छता समाज का धन होता है।

स्वक्षता यह सुनिश्चित करता है समाज में रहने वाले मनुष्य कितने सबल तथा जागृत हैं। स्वच्छ भारत अभियान इसी असीम उदाहरणों में से एक है। भारत एक विशाल जनसंख्या तथा बड़ा क्षेत्र वाला देश है। भारत में 75% गरीब किसान और मजदूर निवास करती है। भारत की अर्थव्यवस्था किसानों और मजदूरों पर निर्भर करती है। इतनी बड़ी विशाल देश में लोग स्वस्थ रहे अपनी जीव का सुनिश्चित कर सके इसीलिए देश को स्वच्छ तथा बीमार मुक्त रखना अति आवश्यक है।

स्वक्षता समाज में स्वस्थ मानसिकता की प्रतीक होती है। स्वच्छ हमारे जीवन को सुंदर तथा सरल बनाती है। दूसरों के नजर में सम्मान की भावना उत्पन्न कराती है। उद्देश्य स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य भारत वर्ष तथा संपूर्ण विश्व में स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाना है। भारत इतिहास में विश्व गुरु के नाम से जाना जाता है। भारत की शौर्य पराक्रम और ज्ञान का बखान इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है।

See also  सीडीएस (CDS) परीक्षा के बारे में जानकारी

बदलते विश्व में परस्परता की होर में सभी देश एक दूसरे से श्रेष्ठ दिखने का प्रयास कर रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप वैज्ञानिक उपकरणों की संख्या में भारी मात्रा में बढ़ोतरी हुई है। वैज्ञानिक उपकरणों के वृद्धि के कारण कचरा का फैलाव अधिक हुआ है। वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी अत्यधिक बढ़ी है। खुले वातावरण में भी सांस लेना दुर्लभ हो गया है। पेड़ पौधों का दोहन बिना रोक-टोक मानव आवश्यकता पूर्ति हेतु किया जा रहा है। वन क्षेत्र की अत्यधिक कमी हो रही है। वन क्षेत्रों को हटाकर अब बस्तीयां बनाई जा रही हैं और शहर बसाये जा रहे हैं। पेड़ पौधों की कमी के कारण वायुमंडल में प्रतिक्षण ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है।

मनुष्य अपनी प्रतिस्पर्धा की होर में प्राकृत से विमुख होते जा रहे हैं। मिट्टी पर धूल से ज्यादा कचरे का ढेर नजर आ रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। गंदगी यों के फैलने के कारण वातावरण और मिट्टी अत्यधिक प्रदूषित हो गई है। जिसके कारण मनुष्य बीमार पड़ता है तथा फेफड़ों आदि जैसी समस्याएं उत्पन्न होती है। जमीन के प्रदूषित होने की वजह से उपजाऊ शक्ति कमजोर होती है जिसके परिणाम स्वरूप पैदावार कम होती है। इन सब समस्याओं से भारत सहित पूरा विश्व प्रभावित है। इसी को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान नामक इस आंदोलन का शुरुआत किया।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना का आरंभ अपने कार्यकाल में गांधी जयंती के अवसर पर आरंभ किया। इसके प्रारंभ का तरीका और अंदाज इतना सुदृढ़ था जिसके परिणाम स्वरूप यह योजना आंदोलन का रूप ले लिया। इस आंदोलन की प्रशंसा राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय मंच पर होती है। समाज में एक नई मानसिकता ने जन्म ली। यह मानसिकता समाज को स्वच्छता के बारे में जागरूक किया तथा लोग स्वच्छता के प्रति सजग हुई। लोगों ने समझा कि गंदगी बीमारी की समस्या है अगर स्वस्थ रहना है तो स्वच्छ रहना पड़ेगा।

See also  मोबाइल फोन का इतिहास | मोबाइल फोन का आविष्कार | दुनिया की सबसे महंगा मोबाइल

परिणाम

गांधी जयंती के शुभ अवसर पर 2 अक्टूबर 2014 को राजघाट से शुरू किया गया यह आंदोलन भारतवर्ष ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में चर्चा का विषय बन गया। इसने मानव समाज से अत्यधिक प्रशंसा पाई। 5 वर्षों के लिए इस योजना का शुरूआत किया गया था। यह भारत में सर्वश्रेष्ठ योजनाओं में से एक है जो सफल रहा। नेता हो या अभिनेता इस आंदोलन में सभी ने झाड़ू अपने हाथों में थाम लिया और गली मोहल्ले नदी नाले तक साफ किया। साधारण मनुष्य लेकर विशिष्ट व्यक्ति तक ने इसकी प्रशंसा की तथा सहयोग दिया। भारत सरकार ने इस योजना में अत्यधिक धन भी खर्च किए ताकि इसका परिणाम सार्थक हो। हर सरकारी तथा प्राइवेट भवन, सड़क, गली मोहल्ले में कूरा रखने के लिए कूड़ेदान लगाया गया। इस आंदोलन ने लोगों के मन में स्वच्छता के प्रति एक उल्लास उत्पन्न हुआ। लोग इसे अपने स्वाभिमान से जोड़ कर देखने लगे। विश्व की कई सारी देशों ने इसका अनुसरण किया। यह योजना इतनी सफल रही कि इसे अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया। स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य सिर्फ स्वछता तक ही सीमित नहीं रह गया था बल्कि पेड़ लगाना, कचरा साफ करना, शौचालय का निर्माण करवाना इस सब कार्यों को इसी के अंतर्गत किया गया।

निष्कर्ष

गंदगी के कारण तरह-तरह की बीमारियां तथा विषाणु किटी उत्पन्न होती है। इससे लोगों के व्यक्तिगत जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। लोग बीमार तथा कमजोर हो जाते हैं। लोगों की मानसिकता दुर्बल तथा आयु कम हो जाती है। अतः अस्वच्छता समाज का अभिशाप है। इसे किसी भी कीमत पर पनपने नहीं देना चाहिए। स्वच्छता ही एकमात्र जीवन के सुखी होने का प्रतीक है। स्वच्छता चंचल और सुंदर चित्त का संकेत है। भारत स्वच्छता अभियान का आंदोलन भारतवर्ष ही नहीं अपितु पूर्ण रूप से सारे संसार में विद्यमान रहे।

Scroll to Top